
साहित्य मेरा रंग पर कहानियों की इस शृंखला में हम चुनिंदा रचनाकारों से उनकी पसंद की कहानियों को उन्हीं से सुनते हैं। इस क्रम में सुनिए वरिष्ठ कथाकार डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'गीता चौधरी का आखिरी सवाल'।
डॉ. सूर्यबाला ने 150 से अधिक कहानियाँ, उपन्यास, व हास्य व्यंग्य लिखे हैं। समकालीन कथा साहित्य में डॉ. सूर्यबाला का लेखन अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्त्व रखता है। समाज, जीवन, परंपरा, आधुनिकता एवं उससे जुड़ी समसयाओं को सूर्यबाला जी एक खुली, मुक्त और नितांत अपनी दृष्टि से देखने की कोशिश करती हैं।
वरिष्ठ कवयित्री व आलोचक डॉ.चंद्रकला त्रिपाठी लिखती हैं, "सूर्यबाला जीवन के सुदृढ़ मानवीय आधारों पर गहरा विश्वास करती हैं। जटिलताओं से भरे युगबोध की उन्हें बराबर पहचान है, किंतु इसके मुकाबले खड़े जीवन-मूल्यों का भरोसा भी उन्हें मिलता है।"
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