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साहित्य मेरा रंग

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  • रूपा सिंह की कहानी 'तीन बजकर चालीस मिनट'रूपा सिंह की कहानी 'तीन बजकर चालीस मिनट'

    रूपा सिंह की कहानी 'तीन बजकर चालीस मिनट'

    साहित्य मेरा रंग पर कहानियों की इस शृंखला में हम चुनिंदा रचनाकारों से उनकी पसंद की कहानियों को उन्हीं से सुन रहे हैं। इस क्रम में सुनिए जानी-मानी कथाकार रूपा सिंह की कहानी 'तीन बजकर चालीस मिनट'। उनके बारे में 'पुरवाई' पत्रिका में प्रकाशित एक आलेख में कहा गया है, वैसे उनका प्रिय क्षेत्र आलोचना का है, मगर जब कविता उतरती है तो कविता लिख लेती हैं और जब “दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला” जैसी कहानी लिख देती हैं तो फ़ेसबुक पर तहलका मचा देती हैं। उनका व्यक्तित्व बिंदास है… अपने में मस्त। 

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  • मनीषा कुलश्रेष्ठ से सुनिए उनकी कहानी 'स्वांग'मनीषा कुलश्रेष्ठ से सुनिए उनकी कहानी 'स्वांग'

    मनीषा कुलश्रेष्ठ से सुनिए उनकी कहानी 'स्वांग'

    साहित्य मेरा रंग पर हिंदी कहानियों की शृंखला में हम चुनिंदा रचनाकारों से उनकी पसंद की कहानियों को उन्हीं से सुन रहे हैं। इस क्रम में सुनिए हिंदी की चर्चित कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ से उनकी कहानी 'स्वांग'।

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  • डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'रेस'डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'रेस'

    डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'रेस'

    साहित्य मेरा रंग पर कहानियों की शृंखला में हम चुनिंदा रचनाकारों से उनकी पसंद की कहानियों को उन्हीं से सुनते हैं। इस क्रम में हम वरिष्ठ कथाकार डॉ. सूर्यबाला से लगातार कहानियां सुन रहे हैं। प्रस्तुत है उनकी एक और चर्चित कहानी 'रेस'।

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  • डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'वे ज़री के फूल'डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'वे ज़री के फूल'

    डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'वे ज़री के फूल'

    साहित्य मेरा रंग पर कहानियों की इस शृंखला में हम चुनिंदा रचनाकारों से उनकी पसंद की कहानियों को उन्हीं से सुन रहे हैं। इस क्रम में इन दिनों हम वरिष्ठ कथाकार डॉ. सूर्यबाला की कहानियां सुना रहे हैं। इस बार की कहानी का शीर्षक है 'वे ज़री के फूल'।

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  • डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'गीता चौधरी का आखिरी सवाल'डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'गीता चौधरी का आखिरी सवाल'

    डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'गीता चौधरी का आखिरी सवाल'

    साहित्य मेरा रंग पर कहानियों की इस शृंखला में हम चुनिंदा रचनाकारों से उनकी पसंद की कहानियों को उन्हीं से सुनते हैं। इस क्रम में सुनिए वरिष्ठ कथाकार डॉ. सूर्यबाला की कहानी 'गीता चौधरी का आखिरी सवाल'।

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  • वरिष्ठ कथाकार डॉ.सूर्यबाला से सुनिए उनकी कहानी 'मुक्तिपर्व'वरिष्ठ कथाकार डॉ.सूर्यबाला से सुनिए उनकी कहानी 'मुक्तिपर्व'

    वरिष्ठ कथाकार डॉ.सूर्यबाला से सुनिए उनकी कहानी 'मुक्तिपर्व'

    साहित्य मेरा रंग में आपका स्वागत है। सुनिए वरिष्ठ कथाकार डॉ.सूर्यबाला की कहानी 'मुक्तिपर्व'। सूर्यबाला ने अभी तक 150 से अधिक कहानियाँ, उपन्यास, व हास्य व्यंग्य लिखे हैं। इनमें से अधिकांश हिंदी की प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। अनेकों आकाशवाणी व दूरदर्शन पर प्रसारित हुए हैं और बहुतों का देश विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। इस आयोजन की प्रस्तुतकर्ता हैं साहित्य मेरा रंग की संचालक शालिनी श्रीनेत।

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